रविवार, 7 अक्तूबर 2018

राजा और संत/RAJA OR SANT

एक बार एक राजा था.राजा ने एक संत से पूछा कि आप हमें ये बताईये कि लोग क्यों कहते हैं कि भक्ति करो.आखिर भक्ति में क्या है तो संत ने कहा कि मै तुम्हे बता सकता हूँ कि भक्ति में क्या है.

पर तुम मुझे ये बताओ कि आम का स्वाद क्या है.राजा ने कहा कि आम का स्वाद मीठा है.तो संत ने कहा हाँ,हाँ चीनी भी तो मीठी होती है तो क्या वो आम है.राजा ने कहा -नही.तो फिर बताओ न आम का स्वाद क्या है.

अब राजा को कुछ भी समझ नही आया कि क्या जबाव दे तो फिर संत ने कहा कि ठीक है मै तुम्हे जबाव देता हूँ.जाओ आम मंगाओ.आम लाया गया.राजा ने वो आम लिया और संत को दिया.संत ने कहा कि ये आप हमें मत दीजिए.

इसे आप छीलिये और खाईये.राजा ने आम को छीला और उसे खाया.खाकर कहा कि हाँ अब समझ आया कि आम का स्वाद कैसा है.

संत ने कहा-हाँ यही तो मै चाहता था.तुम इसे खाओ तभी समझ आएगा कि आम का स्वाद क्या है.आम का स्वाद कैसा है तुम इसे शब्दों में बयां नही कर सकते.इसीप्रकार से भक्ति में क्या रस है.

भगवान में क्या रस है,भगवान की भक्ति कैसे आपको विमल बना सकती है,ये शब्दों में बयां नही कर सकते.इसके लिए हमें भक्ति करनी होगी.

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